उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में जन्म लेने वाले सभी शिशुओं का जन्म प्रमाण पत्र अब तुरंत प्राप्त हो जाता है। जन्म प्रमाण पत्र के लिए अब बच्चे के माता-पिता को कहीं भी भटकने की आवश्यकता नहीं होती। अब अस्पताल में जन्म लेने वाले शिशु का जन्म प्रमाण पत्र अस्पताल के माध्यम से प्रदान किया जाता है। शिशु के जन्म के बाद अस्पताल के अधीक्षक द्वारा हस्ताक्षरित जन्म प्रमाण पत्र ही पूर्ण रूप से मान्य होता है।
आज के डिजिटलाइजेशन के दौर में जन्म प्रमाण पत्र को भी डिजिटल कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश में जन्म लेने वाले किसी भी शिशु का जन्म प्रमाण पत्र अब माँ नवजात ट्रैकिंग सिस्टम ऐप के माध्यम से चुटकियों में बना दिया जाता है। इस ऐप के माध्यम से शिशु के माता-पिता को डिजिटल हस्ताक्षरित जन्म प्रमाण पत्र प्राप्त होता है। डिजिटल जन्म प्रमाण पत्र भारत में सर्वस्व मान्यता प्राप्त होगी। आप इस जन्म प्रमाण पत्र के माध्यम से भारत के किसी भी स्थान पर अपनी प्रमाणिकता साबित कर सकते हैं।
इसे भी पढे क्या किसान की मृत्यु पर पैसे मिलते है.
मां नवजात ट्रैकिंग सिस्टम एप :-
माँ नवजात ट्रैकिंग सिस्टम एप एक डिजिटल एप है जिसे ‘मंत्रा एप’ के नाम से भी जाना जाता है। इस एप के माध्यम से नवजात शिशु का जन्म प्रमाण पत्र तुरंत प्राप्त हो जाता है। अब तक उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र सरकारी अस्पताल के अधीक्षक के हस्ताक्षर होने पर मान्य था। परंतु अब इस सिस्टम को ऑनलाइन किया गया है। ‘माँ नवजात ट्रैकिंग सिस्टम एप’ को ‘सिविल रेजिस्ट्रेशन सिस्टम पोर्टल’ (सीआरएस) के माध्यम से जोड़ा जा रहा है। फिलहाल, यह प्रयोग अभी उत्तर प्रदेश के 1 हजार अस्पतालों में किया जा रहा है। इस प्रकार, अब नवजात शिशु का जन्म प्रमाण पत्र तुरंत बन जाएगा।
मंत्रा एप को किया गया सम्मानित :-
प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने विकसित किया गया ‘मंत्रा’ एप को केंद्र सरकार की ‘ई-गर्वनेंस स्कीम’ के अंतर्गत सिल्वर अवार्ड से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार ‘गवर्नमेंट प्रोसेस री-इंजीनियरिंग फॉर डिजीटल ट्रांसफॉर्मेशन योजना’ के कैटेगरी-1 में हासिल किया गया है। ‘मंत्रा’ एप के माध्यम से किसी भी केंद्र में हो रहे प्रसव का विवरण और प्रसव संबंधी सुविधाएं आसानी से उपलब्ध होती हैं।
इस एप्लिकेशन के माध्यम से नवजात शिशु के जन्म, टीकाकरण, और डिलीवरी से संबंधित जानकारियों को आसानी से दर्ज करना संबंधित लोगों को सिखाया गया है। इससे गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े आंकड़े डिजिटल रूप में उपलब्ध हो गए हैं। स्टाफ नर्स द्वारा गर्भवती महिला को एडमिट करते समय उसके स्वास्थ्य की स्थिति, उपचार का समय, और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी को सिस्टम में फीड किया जाता है। इससे मां और शिशु को सुरक्षित रखना और उनकी परेशानियों का त्वरित समाधान होना संभव हो गया है।